हरितालिका तीज: प्रेम और परंपरा का त्योहार” जाने कब है हरितालिका तीज ,क्या हैं व्रत की विधि और हरितालिका तीज पूजा के नियम

6 सितंबर 2024, शुक्रवार

हरितालिका तीज व्रत हर साल भाद्र पद मास(भादौ) के शक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता हैं।यह व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित हैं।इस व्रत को विवाहित महिलाएं और कुंवारी लड़किया  दोनो ही करती हैं। क्योंकि माता पार्वती जी ने 9 वर्ष की उम्र में इस व्रत को किया था और घोर तपस्या कर के भोलेनाथ जी को प्रसन्न किया था। कुंवारी कन्याएं इस व्रत को मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए करती हैं और विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए इस व्रत को करती हैं। इस व्रत में खाना पानी निषेध हैं।

कैसे रखा जाता हैं व्रत:  अधिकांश जगहों पर इस व्रत को निर्जला उपवास किया जाता हैं लेकिन कुछ जगहों जैसे कि उत्तरप्रदेश में सुबह 3 से 4 बजे के बीच में सरगी खाने का रिवाज हैं।

अधिकांश जगहों पर यह व्रत निर्जला ही किया जाता हैं महिलाएं 24 घंटे का कठिन व्रत करती हैं तथा भोले नाथ जी की पूजा करती हैं और रात भर जाग कर भोले बाबा जी के कीर्तन भजन करती हैं और भोले नाथ जी को प्रसन्न करती हैं। इस व्रत में जगराते का विशेष महत्व है। पूजा करने के बाद महिलाएं सुबह होने तक जगराता करती हैं।


व्रत की पूजा कैसे करें: भोलेनाथ जी को समर्पित तीज के व्रत में मौन स्नान का विशेष महत्व है सबसे पहले सुबह 4 बजे उठकर स्नान किया जाता हैं उसके बाद पूजा पाठ करके निर्जल उपवास शुरू करते हैं और अगली सुबह नहा धोकर पूजा करने के बाद व्रत का पारण करते हैं और व्रत का समापन करते हैं। कुछ जगहों पर भोलेनाथ, गणेश और पार्वती जी के साथ फुलेहरा पूजा होती हैं और कुछ जगहों पर केवल भोलेनाथ ,गणेश और पार्वती जी की पूजा होती हैं। इसमें भलेनाथ के पार्थिव शरीर की पूजा होती हैं। भोलेनाथ , गणेश और पार्वती जी की  मूर्ति काली मिट्टी से बनाई जाती हैं और मूर्ति बनाकर पीतल या ताबे की थाली में रखते हैं केले के पत्ते का मंडप  बनाते हैं और फिर मूर्ति स्थापित करके पूजा शुरू करते हैं। पूजा करने के बाद कथा सुनते हैं और आरती करके पूजा का समापन करते हैं फिर  महिलाएं पूजा स्थान पर रात भर जगराता करती हैं। और भोर में 4 बजे नहा के पूजा का विसर्जन करती हैं। और व्रत का पारण करती हैं।

पूजा में शामिल होने वाली जरूरी चीजें: सफेद चंदन,सिंदूर, फूल, जनेऊ,दीपक, रुई बत्ती,लाल चुनरी, मां गौरी के लिए 16 श्रृंगार,भोलेनाथ जी के लिए वस्त्र, अक्षत, मिठाई,मौसमी फल आदि।

Note: उपरोक्त जानकारी सामान्य तथ्यों पर आधारित हैं लर्न ब्लूम्स इसका दावा नहीं करता हैं

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