जन्माष्टमी पर्व पर किन विशेष चीजों का भोग लगाने से लड्डू गोपाल होंगे प्रसन्न बरसेगी कृपा मिलेगा आशीर्वाद


जन्माष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता हैं। आज से कई हजार साल पहले भाद्रपद मास के    कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण जी का जन्म मथुरा में हुआ था और उसके बाद उन्हें गोकुल पहुंचा दिया गया था।
इस साल जन्माष्टमी पर्व 26 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा । लड्डू गोपाल को भगवान कृष्ण जी का बाल रूप कहा जाता हैं।  लड्डू गोपाल की देखरेख छोटे बच्चे जैसी की जाती हैं । कम से कम 2 बार आरती और चार बार भोग लगाया जाना चाहिए। लड्डू गोपाल को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए उनके सोने का भी विशेष प्रबंध किया जाना चाहिए।
लड्डू गोपाल के भोग में माखन, मिश्री जरूर शामिल करें और इसके अलावा जो भी भोजन घर में सात्विक तरीके से बना हों उसका भी भोग लगा सकते हैं।
जन्माष्टमी पर कैसे करे लड्डू गोपाल की स्थापना और पूजा – जन्माष्टमी के दिन लोग  व्रत रखते हैं । इस दिन लड्डू गोपाल को  घर   लाने के प्रमुख नियम निम्न हैं –
1.सबसे पहले लड्डू गोपाल की अच्छी मूर्ति  का चयन  करें और  ध्यान रखें कि मूर्ति कहीं से छतिग्रस्त ना हों  क्योंकि खंडित मूर्ति नहीं रखी जाती  हैं।
2. मूर्ति लाने के साथ ही लड्डू गोपाल के लिए झूला, बिस्तर,मुकुट, मोर पंख, बासुरी, माला, कपड़े आदि खरीदे।
3. लड्डू गोपाल के लिए पूजा स्थान पर आसन रखें और उस पर मूर्ति की स्थापना करें।
4. लड्डू गोपाल को प्रतिदिन स्नान कराएं और प्रतिदिन साफ सुथरे कपड़े पहनाए।
5. लड्डू गोपाल को चंदन टीका करे और फिर माला, मुकुट, बांसुरी आदि लगाकर श्रृंगार करे।
6. लड्डू गोपाल जी को फूल और तुलसी  दल अर्पित करे।
7. फिर लड्डू गोपाल को भोग लगाए और भोग में माखन मिश्री जरूर शामिल करें वा उनके पास गिलास में पानी पीने के लिए रखें। लड्डू गोपाल जी को तुलसी बहुत पसन्द है और भोग में तुलसी जरूर शामिल करें।
जन्माष्टमी पर इन चीजों का भोग लगाएं –
जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को विशेष पकवान बनाकर भोग लगाएं जैसे पूरी,खीर, हलुआ, साबूदाना खिचड़ी, विभिन्न प्रकार के मिष्ठान वा फल का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा माखन और मिश्री को जरूर शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही पंचामृत का भोग लड्डू गोपाल को जरूर लगाए क्योंकि इसके बिना लड्डू गोपाल जी का भोग अधूरा रहता हैं।
नोट: यह जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए हैं पूजा पाठ अपने कुलरीति के हिसाब से अपने पुरोहित की सलाह से करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *