लड्डू गोपाल भगवान कृष्ण जी के ही बाल रूप है। भगवान श्री कृष्ण जी की बाल लीलाएं एक से बढ़कर एक है और सभी लीलाओं की एक कहानी है। इनमें से एक कहानी है गोवर्धन पर्वत उठाने की।
जब भगवान इन्द्र ब्रजवासियों से रुठकर पूरे बृज को पानी पानी कर दिया था। तो भगवान कृष्ण जी ने ब्रजवासियों को इन्द्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए एक ऊंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था। 7 दिन बाद जब बारिश रुकी तभी कृष्ण जी ने पर्वत को नीचे रखा था।
भगवान श्री कृष्ण जी को माता यशोदा दिन में 8 बार भोजन करवाती थी। जब भगवान श्री कृष्ण जी को 7 दिन बिना अन्न जल के रहना पड़ा तो बृजवासी और माता यशोदा को बड़ा कष्ट हुआ। फिर माता यशोदा जी ने अपने लल्ला के लिए 1 दिन के 8 व्यंजन के हिसाब से 7 दिन का भोजन एक साथ करवाया तभी से 56 भोग की पृथा शुरू हुई।
इसीलिए कहते हैं भगवान कृष्ण जी को उनके अवतरण दिवस पर 56 भोग खिलाने से प्रसन्न होते हैं।
कहा जाता हैं की गोपियां श्री कृष्ण को वर के रुप में प्राप्त करने के लिए कई माह तक ब्रम्ह मूहूर्त में यमुना में स्नान किया करती थी। और मां कात्यायनी से प्रार्थना करती थी श्री कृष्ण को वर रूप में पाने की। गोपियों ने मां कात्यायनी से मन्नत मांगी थी की अगर उनकी प्रार्थना पूरी हुई तो वे मां कात्यायनी को 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाएगी। तभी से 56 भोग लगाया जाता हैं।
56 भोग में शामिल व्यंजन –
माखन मिश्री,
खीर,
रसगुल्ला,
जीरा लड्डू,
जलेबी,
रबड़ी,
मालपुआ,
मोहनभोग,
मूंग दाल का हलवा,
घेवर,
पेड़ा,
काजू,
बादाम,
पिस्ता,
इलायची,
पंचामृत,
शक्कर पारा,
मठरी,
चटनी,
मुरब्बा,
आम,
केला,
अंगूर,
सेब,
आलूबुखारा,
किशमिश,
पकोड़े,
साग,
दही
, चावल,
कढ़ी
, चीला,
पापड़,
खिचड़ी,
बैंगन की सब्जी,
दूधी की सब्जी,
पूरी,
टिक्की,
दलिया,
घी,
शहद,
सफेद मक्खन
, ताजी क्रीम,
कचौरी,
रोटी,
नारियल पानी,
बादाम का दूध,
छाछ,
शिकंजी,
चना,
मीठे चावल,
भुजिया,
सुपारी,
सौंफ,
पान.
नोट:यह जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए हैं।