नवरात्रि पूजा नियम (Navratri Pooja Niyam) का पालन करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और पूजा विधिपूर्वक संपन्न होती है। यहां नवरात्रि के कुछ मुख्य नियम दिए गए हैं:
- स्वच्छता और शुद्धता
- घर की साफ-सफाई करके पूजा स्थल को साफ रखें।
- प्रतिदिन स्नान करके स्वच्छ और साफ वस्त्र धारण करें, खासकर पूजा के समय।
- कलश स्थापना
नवरात्रि के पहले दिन कलश (घट) स्थापना करें, जो देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है।
मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और इसे नियमित रूप से जल दें। जौ के अंकुरण को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- पूजा की विधि
देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और प्रतिदिन उनकी पूजा करें।
देवी की आरती, मंत्र जाप, और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
श्रद्धा अनुसार व्रत रखें, जो पूर्ण व्रत (निर्जल) या फलाहार हो सकता है।
- सात्विक भोजन
व्रत के दौरान सात्विक आहार का पालन करें। प्याज, लहसुन और मांसाहार से बचें।
केवल व्रत के लिए मान्य सामग्री जैसे साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा आदि का उपयोग करें।
- व्रत और संयम
मानसिक और शारीरिक संयम रखें। क्रोध, ईर्ष्या, झूठ और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
दिन भर में अधिक से अधिक समय भगवान के ध्यान और साधना में बिताएं।
- कन्या पूजन
अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का आयोजन करें। नौ कन्याओं का स्वागत कर उनका पूजन करें, उन्हें भोजन कराएं और दान दें।
- आरती और भजन
- दिन में दो बार, सुबह और शाम को आरती और भजन करें।
देवी दुर्गा के भजन और चालीसा का पाठ करे।
8. .देवी का आह्वान और विसर्जन
प्रतिदिन पूजा के समय देवी दुर्गा का आह्वान करें और आखिरी दिन उन्हें विदा (विसर्जन) करने की प्रार्थना करें।
विशेष रूप से नवरात्रि के समापन पर देवी को अच्छे तरीके से विदा करें और आशीर्वाद प्राप्त करे।