पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होती हैं। जिसका समापन आश्विन मास की अमावस्या के दिन होता है। जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन पितरों का धरती से विसर्जन किया जाता है। आइए जानते हैं कब हैं सर्व पितृ अमावस्या और कैसे करें पितरों का विसर्जन ।
सर्व पितृ अमावस्या का मुहूर्त –
सर्व पितृ अमावस्या की शुरुआत 1 अक्टूबर को रात 9 बजकर 39 मिनट पर हो रही है और 3 अक्टूबर को रात 12 बजकर 18 मिनट तक अमावस्या तिथि हैं।
पितृ मोक्ष अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाए जाएगी। पितृ पक्ष का प्रारंभ 18 सितंबर को हुआ था । पितृ पक्ष की अवधि 15 दिन की होती हैं।
कैसे करेपितरों का विर्सजन –
पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सुबह सुबह उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करे यदि संभव नहीं है तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करे। इसके बाद पितरों का तर्पण और पिंडदान करे। और फिर पंचबली अर्थात गाय, कुत्ता,कौआ,देव और चीटी के लिए श्राद्ध का भोग निकाले।फिर गरीबों और ब्राम्हण को भोजन करवाकर दान पुण्य करते हैं और फिर पितरों की बिदाई करते हैं। गरीबों और ब्राम्हण को भोजन करवाने और दान पुण्य से पितृ प्रसन्न होते है तथा खुशी खुशी धरती से बिदा हो जाते हैं।
पितृ पक्ष में क्या नहीं करना चाहिए?
1.पितृ पक्ष में बड़ों और बृद्धो का अपमान नहीं करना चाहिए।
2. पितृ पक्ष के दौरान मास मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. पितृ पक्ष में बाल नहीं धोने चाहिए।
4. पितृ पक्ष में चना,बेसन ,सत्तू और चने की दाल से बनी चीजें नहीं उपयोग करना चाहिए।
अगर पितृ पक्ष के नियमों का सही तरीके से पालन किया जाता है तो पूर्वज प्रसन्न होकर खुशी खुशी धरती से बिदा हो जाते हैं।