कार्तिक मास में तुलसी पूजा का विशेष महत्व होता है। वैसे तो तुलसी पूजा हर महीने,हर दिन होती हैं लेकिन कार्तिक मास में तुलसी पूजा का विशेष महत्व होता हैं।
तुलसी के पौधे को देवी मां माना जाता हैं।यह काफी पवित्र पौधा माना जाता हैं। तुलसी में औषधीय गुण भी होते हैं। सूरज ढलने के बाद तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए।तुलसी पूजा के कुछ नियम निम्नलिखित हैं, जिन्हें पालन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है:
- तुलसी की साफ-सफाई: रोजाना तुलसी के पौधे की सफाई करें और उसे स्वच्छ रखें। शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- स्नान और शुद्धता: तुलसी पूजा करने से पहले स्नान कर लें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- तुलसी के पास दीप जलाना: शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं। इसे घर में सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है।
- तुलसी को छूने के नियम: तुलसी के पौधे को गंदे हाथों से न छुएं, और बिना स्नान किए कभी भी तुलसी का पत्ता न तोड़ें।
- मंत्र और प्रार्थना: तुलसी माता की पूजा के समय तुलसी स्तोत्र या तुलसी मंत्र का जाप करें। “ॐ तुलस्यै नमः” या “ॐ वृष्णिप्रिया नमः” मंत्र का जाप करना विशेष फलदायक होता है।
- तुलसी विवाह: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। इस दिन तुलसी और शालिग्राम भगवान का विवाह सम्पन्न कराया जाता है।
इन नियमों का पालन कर के कार्तिक मास में तुलसी पूजा करने से घर में सुख-शांति, धन-धान्य और आरोग्यता बनी रहती है।