“मकर संक्रांति: पर्व उत्सव और भाईचारे का प्रतीक”
मकर संक्रांति एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होती हैं। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे पंजाब में लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, उत्तर भारत में मकर संक्रांति, और गुजरात में उत्तरायण।
इस दिन लोग अपने घरों में तिल, गुड़ और अन्य मिठाईयां खाते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। यह दिन विशेष रूप से दान और पूजा का दिन माना जाता है। कई स्थानों पर लोग सूर्योदय से पहले स्नान करके पूजा करते हैं और तिल, गुड़, वस्त्र आदि का दान करते हैं। इसके अलावा, पतंगबाजी, खासकर उत्तर भारत में, इस दिन का एक प्रमुख हिस्सा है।
मकर संक्रांति के महत्व:
1. धार्मिक महत्व: मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन का संबंध विशेष रूप से सूर्य देवता से होता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन को पुण्य काल माना जाता है और इस समय दान और पुण्य के कार्य किए जाते हैं।
2. पवित्र स्नान और दान: इस दिन लोग विशेष रूप से गंगाजी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और तिल, गुड़, वस्त्र आदि का दान करते हैं। इसे पुण्य अर्जित करने का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
3. खुशियों का त्योहार: मकर संक्रांति का पर्व खुशी और उल्लास से जुड़ा हुआ है। लोग एक-दूसरे को तिल और गुड़ की मिठाईयाँ देते हैं, जो मित्रता और भाईचारे का प्रतीक मानी जाती हैं।
4. पतंगबाजी: इस दिन पतंग उड़ाना एक प्रमुख परंपरा है, विशेषकर भारत के उत्तर भारत और गुजरात में। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों का दृश्य इस दिन को और भी खास बना देता है।
5. क्षेत्रीय विविधताएँ: मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। जैसे:
1.उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति कहते हैं।
2.गुजरात में इसे उत्तरायण कहा जाता है।
3.पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है।
4.तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं, जो फसल की कटाई का त्योहार होता है।
5.कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में इसे सक्रांति कहते हैं।
यह त्यौहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध परंपराओं का भी प्रतीक है।