मां काली जी कि आरती ___

अम्बे तू हैं जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पड़ वाली
तेरे ही गुड़ गाए, भारती ओ मईया हम सब उतरे तेरी आरती___2

माता तेरे भक्त जनों, पर भीड़ पड़ी हैं भारी __2
दानव दल पर, टूट पड़ो मां कर के सिंह सवारी __2
सौ सौ सिंघों से हैं, बल साली अष्ट भुजाओं वाली
दुखियो के दुखड़े निवारती__ओ मईया हम सब उतरे तेरी आरती__।

मां बेटे का हैं इस जग, में बड़ा ही निर्मल नाता__2
पूत कपूत सुने है पर, न माता सुनी कुमाता__2
सब पे करुणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली
सातियों के साते को संवारती__ओ मईया हम सब उतरे तेरी आरती___।

नही मांगते धन और दौलत, ने चांदी न सोना __2
हम तो मांगे मां, तेरे मन में एक छोटा सा कोना __2
सब की बिगड़ी, बनाने वाली लाज बचाने वाली
नैया भंवरे से उबारती __ओ मईया हम सब उतरे तेरी आरती___।

अम्बे तू हैं जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पड़ वाली
तेरे ही गुड़ गाए भारती, ओ मईया हम सब उतरे तेरी आरती__2

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